Share Market में डिबेंचर
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1. डिबेंचर क्या है ?
एक डिबेंचर एक प्रकार का डेट इंस्ट्रूमेंट है जो भौतिक संपत्तियों द्वारा सुरक्षित नहीं है यासंपार्श्विक। एक डिबेंचर दीर्घकालिक ऋण प्रारूप का एक माध्यम है जिसका उपयोग बड़ी कंपनियों द्वारा पैसा उधार लेने के लिए किया जाता है। वे केवल जारीकर्ता की सामान्य साख और प्रतिष्ठा से समर्थित हैं। डिबेंचर आम तौर पर ऐसे ऋण होते हैं जो एक निश्चित तारीख को चुकाने योग्य होते हैं, लेकिन कुछ डिबेंचर गैर-जिम्मेदार प्रतिभूतियां होती हैं, जिसका अर्थ है कि उनके पास फंड की अपेक्षित वापसी की निश्चित तारीख नहीं है।
2. डिबेंचर के प्रकार
परिवर्तनीय डिबेंचर
इन डिबेंचर को जारी अवधि के बाद जारी करने वाली कंपनी के इक्विटी शेयरों में परिवर्तित किया जा सकता है। ये आंशिक रूप से परिवर्तनीय या पूर्ण रूप से परिवर्तनीय डिबेंचर हो सकते हैं।
गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर
ये नियमित डिबेंचर हैं जिन्हें इक्विटी शेयरों में नहीं बदला जा सकता है। ये परिवर्तनीयता सुविधा के बिना डिबेंचर हैं; ये आमतौर पर अपने परिवर्तनीय समकक्षों की तुलना में अधिक ब्याज दरों पर ले जाते हैं।
3. Debenture (ऋण पत्रक) की विशेषताएं
डिबेंचर (Debenture) अर्थात ऋण पत्रक की विशेषताएं कि बात कि जाये तो इसकी कई विशेषताएं इनमे से कुछ निम्न लिखित है –
डिबेंचर कंपनी द्वारा जारी किया गया एक प्रमाण पत्र होता है जिस पर कंपनी की मुहर होती है जिस पर मूलधन, ब्याज की दर वा ऋण वापस करने का तरीका लिखा होता है।
डिबेंचर उधार ली गयी राशि का भाग होता है डिबेंचर धारक कंपनी के क्रेडिटर्स होते है।
डिबेंचर एक लिखित दस्तावेज होता है जो कंपनी द्वारा अपने निवेशकों के लिए जारी किया जाता है जिस पर लोन वा उधार की जानकारी होती है।
डिबेंचर लम्बी अवधी के लिए जारी एक वित्तीय स्रोते होते है जो की साधारणतः 10 साल के लिए जारी किये जाते है।
डिबेंचर धारक एक निश्चित ब्याज दर पाने के योग्य हो जाते है इस ब्याज दर को कूपन रेट (Debenture Coupon Rate) कहा जाता है ।
4. शेयर और डिबेंचर में अंतर
शेयर और डिबेंचर में कुछ मुख्य अंतर हैं, जिसे नीचे लिखा जा रहा है।
स्टेटस : शेयर किसी कंपनी का कैपिटल होता है किन्तु डिबेंचर किसी कंपनी का डेब्ट होता है। अतः कोई शेयरहोल्डर किसी कंपनी का एक हिस्सा होता है, जबकि डिबेंचर होल्डर कम्पनी का हिस्सा नहीं होता। डिबेंचर से यह भी पता लगता है कि कंपनी किसी ऋण में नहीं है। पार्टनर शेयरहोल्डर व स्टेक होल्डर में क्या फर्क है यहाँ पढ़ें।
रिटर्न : किसी शेयर का डिविडेंड कंपनी के तात्कालिक लाभ पर निर्भर करता है, किन्तु डिबेंचर में निवेशक को इस बात से अलग ब्याज प्राप्त होता है कि कंपनी लाभ में है या घाटे में।
रीपेमेंट : रेडीमेबल प्रेफेरंस शेयर बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के प्राप्त नहीं हो सकते, किन्तु डिबेंचर की राशि एक निश्चित किये समय के पूरे हो जाने पर अपने एक्सपायरी डेट के समय डिबेंचर होल्डर को सौंप दी जाती है।
आय का प्रारूप : शेयर में किसी शेयरहोल्डर को लाभ के तौर पर डिविडेंड प्राप्त होता है, जबकि डिबेंचर में निवेशक को ब्याज प्राप्त होता है।
सुरक्षा : शेयर होल्डर का कंपनी के एसेट पर किसी तरह का चार्ज नहीं होता है, जबकि डिबेंचर होल्डर का किसी कंपनी के सभी एसेट अथवा किसी निश्चित एसेट पर चार्ज होता है। शेयर के लिए किसी भी तरह के सिक्यूरिटी चार्ज जारी नहीं किये जाते हैं, किन्तु डिबेंचर के लिए सिक्यूरिटी चार्ज ज़ारी किये जाते हैं।
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