Volume का अर्थ
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Volume (वॉल्यूम) का हिंदी अर्थ होता है – मात्रा, यानि कुल संख्या,
और स्टॉक मार्केट के समबन्ध में वॉल्यूम का अर्थ होता है, किसी स्टॉक में होने वाली खरीद और विक्री की मात्रा (कुल संख्या -वॉल्यूम ) से होता है,
स्टॉक मार्केट में स्टॉक का Volume
अगर मै आपसे पुछु कि – मैंने रिलायंस के जो सौ शेयर ख़रीदे वो मेरे दोस्त ने 100 शेयर बेचे थे , तो इन दोनों सौदे के बाद स्टॉक का Trade volume कितना होना चाहिए-
कुछ लोगो का जवाब होगा 100 शेयर ख़रीदे गए और 100 शेयर बेचे गए, इसका मतलब वॉल्यूम 200 होगा, जो कि एक गलत जवाब है,
सही जवाब ये है कि – मैंने 100 शेयर कितनी संख्या में ख़रीदे बेचे गए तो ध्यान से देखे तो पता चलता है कि – दोस्त ने 100 शेयर बेचे और मैंने वही 100 शेयर ख़रीदे और इसलिए शेयर का वॉल्यूम तो 100 ही हुआ,
क्योकि वास्तव में 100 शेयर ही इधर से उधर हुए है, न की 200
स्टॉक मार्केट volume तेजी और मंदी दोनों में बढ़ सकती है –
ध्यान दीजिए, कि मार्केट में किसी स्टॉक में मंदी हो या तेजी, दोनों ही कंडीशन में स्टॉक का VOLUME का बढ़ सकता है, अगर मंदी में वॉल्यूम बढ़ता है, इसका मतलब ज्यादा से ज्यादा लोग उस स्टॉक को बेचना चाहते है,
और अगर तेजी (BULLISH MARKET ) में वॉल्यूम बढ़ता है तो इसका मतलब है कि उस स्टॉक को ज्यादा से ज्यादा लोग खरीदना चाहते है,
स्टॉक मार्केट में स्टॉक का Volume कैसे बनता है
ऊपर के example से हमें ये अच्छी तरह से समझ जाना चाहिए कि स्टॉक मार्केट में volume कैसे बनता है, और हमें इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि –
मार्केट में उतने ही शेयर ख़रीदे जा सकते है, जितने कि शेयर बेचे गए है, यानि अगर अगर किसी दिन १ लाख शेयर ख़रीदे गए, तो इसका मतलब है दूसरी तरफ से १ लाख शेयर बेचे गए है, और इस तरह कुल १ लाख शेयर इधर से उधार ट्रान्सफर हो रहे है न कि 2 लाख, और इसलिए उस दिन स्टॉक का trade volume भी १ लाख ही होगा,
वॉल्यूम वास्तव में ट्रेड में किए गए शेयर के ट्रान्सफर की कुल संख्या है, यानि जितने शेयर ट्रान्सफर हो रहे है, उसी को volume कहा जाता है,
और वॉल्यूम इस तरह बनता है कि –
किसी एक सौदे को ट्रेड कहा जाता है और एक ट्रेड जितने शेयर ख़रीदे और बेचे जा रहे है, उस ट्रेड में लेन देंन किये जाने वाले शेयर की कुल संख्या ही उस स्टॉक का वॉल्यूम कहा जायेगा,
जैसे –अगर किसी सौदे में 100 शेयर ख़रीदे और बेचे जा रहे है, तो उस स्टॉक में trade तो 1 हुआ और उस trade का volume 100 होगा, जो कि उस दिन उस स्टॉक का वॉल्यूम कहा जायेगा,
Volume बनने के पीछे की कहानी
वॉल्यूम तभी बढ़ता है, जब लोग ट्रेड या तो ज्यादा लेते है , तो ऐसे में इस बात को ध्यान में रखना जरुरी है कि Volume के बढ़ने के दो प्रमुख कारण हो सकते है –
रिटेल इन्वेस्स्टेर का जोर (इंटरेस्ट) – जब किसी स्टॉक का ज्यादा से ज्यादा रिटेल इन्वेस्टर खरीदना चाहते है, या फिर किसी स्टॉक का ज्यादा से ज्यादा रिटेल इन्वेस्टर बेचना चाहते है तो स्टॉक के वॉल्यूम में ये बात स्पस्ट देखने को मिलती है,
बड़ी फाइनेंसियल कम्पनी/इन्वेस्टिंग हाउस का जोर (इंटरेस्ट) – जब किसी स्टॉक को किसी बड़े मार्केट प्लेयर द्वारा ख़रीदा या बेचा जाता है , जैसे FII, या DII, या MUTUAL FUND HOUSE अक्सर बड़ी मात्रा में स्टॉक को खरीदते या बेचते है, जो कि उस स्टॉक केवॉल्यूम को बढ़ा देता है,
इस तरह किसी स्टॉक में जब भी कोई मजबूत (STRONG) VOLUME दिखे तो समझने की कोशिस करने चाहिए, कि किस तरह के लोग इस volume को बढ़ा रहे है, और उसी के अनुसार एक आम निवेशक को वॉल्यूम की दिशा और PRICE में होने वाले उतार चढाव के अनुसार ही मार्केट में अपनी पोजीशन बनानी चाहिए,
Technical Analysis में Volume का महत्व
Volume का महत्त्व Technical Analysis में इसलिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है क्योकि वॉल्यूम की हेल्प से हमें इन प्रमुख बातो का पता चलता है
Stock Insights : किसी स्टॉक के ऊपर लोगो का कितना झुकाव है, लोग किस स्टॉक में कितना ट्रेड ले रहे है, ये बात किसी स्टॉक के trade volume को देख कर आसानी से लगाया जाना जा सकता है,
Technical Pattern and Trend Confirmation: – Technical Analysis में volume को इसलिए और खास महत्व दिया जाता है क्योकि किसी स्टॉक में ट्रेड वॉल्यूम को देख कर इस बात का आसानी से पता लगाया जा सकता है, उस स्टॉक का ट्रेंड कितना मजबूत (Strong) या कमजोर (Weak) है, इसके आलावा Technical Analysis में प्रयोग किये जाने वाले सभी tools, द्वारा जो भी signal निकाला जाता है, वास्तव में वो signal कितना स्ट्रोंग है या कितना weak है इस बात का पता भी volume से ही चलता है,
स्टॉक में तेजी या मंदी के समय (Time Frame ) का वास्तविक सूचक – Technical Analysis में volume को इसलिए और खास महत्व दिया जाता है क्योकि किसी स्टॉक में ट्रेड वॉल्यूम को देख कर इस बात का आसानी से पता लगाया जा सकता है, कि किसी स्टॉक में होने वाले ट्रेड में कौन से समय में लोग सबसे ज्यादा खरीदी कर रहे है, या कौन से समय के बीच स्टॉक की विक्री ज्यादा हो रही है,
Stock के Active या Not Active का सूचक – Technical Analysis के अन्दर इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि सौदे लेते समय इस बात को चेक किया जाता है, जिस कंपनी के स्टॉक पर दाव लगाया जा रहा है, उसमे पर्याप्त volume है या नहीं, यानि वो share सौदे के नजर से अच्छी तरह से active है या नहीं,
कही ऐसा तो नहीं लोग उस शेयर को बहुत कम मात्रा में खरीद और बेच रहे है, लोग कितनी मात्रा में खरीद या बेच रहे है,इस बात का पता सिर्फ स्टॉक के trade volume को देख कर ही लगाया जा सकता है,
ध्यान देने वाली बात ये है कि – जिस स्टॉक में सबसे ज्यादा लोग ट्रेड लेते है, यानि जिस स्टॉक के ट्रेड का volume ज्यादा होता है, उसे उतना ज्यादा active शेयर माना जाता है,
वॉल्यूम का घटना (Volume Increase) या वॉल्यूम का बढ़ना (Volume Decrease)
वॉल्यूम के सम्बन्ध में एक और महत्वपूर्ण बात ये है कि –
हम कैसे जानेंगे कि volume घट रहा है या बढ़ रहा है, या volume बराबर है ?
तो इसके लिए आम तौर पर ये नियम है, जिस से हमें पता चलता है कि स्टॉक के volume कब बढ़ हुए माने जायेंगे और कब घटे हुए माने जायेंगे –
वॉल्यूम का घटना (Volume Decrease)
किसी स्टॉक के volume कम हो रहा है, ये तब माना जायेगा जब उस स्टॉक के आज के ट्रेड का वॉल्यूम , पिछले दस दिनों के Volume Average से कम हो,
वॉल्यूम का बढ़ना (Volume Increase)
किसी स्टॉक के volume ज्यादा हो रहा है, ये तब माना जायेगा जब उस स्टॉक के आज के ट्रेड का वॉल्यूम , पिछले दस दिनों के Volume Average से ज्यादा हो,
वॉल्यूम का बराबर होना (No Change in Volume )
किसी स्टॉक के volume तब बराबर माना जायेगा जब उस स्टॉक के आज के ट्रेड का वॉल्यूम , पिछले दस दिनों के Volume Average के बराबर होता है,
सौदे में Volume का प्रैक्टिकल इस्तेमाल
ध्यान देने वाली बात है कि जब भी आप किसी स्टॉक के volume और उसके प्राइस को एक साथ मिलाकर देखेंगे तो आपको बहुत कुछ समझ आएगा,
volume और price मिलकर वास्तव में मजबूत ट्रेंड बनाते है,
Volume + Price = Trend (Strong)
वॉल्यूम और price के इस सम्बन्ध को ध्यान में रखते हुए मार्केट में अपनी पोजीशन को सेट कर सकते है-
अब आइये इन volume और price के इन चार पैटर्न को डिटेल में समझने की कोशिस करते है और ये जानने की कोशिस करते है कि कैसे हम volume का प्रैक्टिकल इस्तेमाल कैसे कर सके है –
जब स्टॉक का volume भी बढ़ता है price भी बढ़ता है,
अगर चार्ट में ये दिख रहा है कि – स्टॉक का volume भी बढ़ रहा है (पिछले दस दिन के एवरेज से अधिक) और साथ में स्टॉक के price भी बढ़ रहे है, तो इसका मतलब है , स्टॉक Bullish Trend में है, और प्राइस और वॉल्यूम का इस तरह से बढ़ना ये बताता है कि – ऐसा हो सकता है कि उस स्टॉक को कोई बढ़ा इन्वेस्टर (जैसे FII , DII, MF) स्टॉक खरीद रहे है, और इसलिए स्टॉक के प्राइस कुछ समय तक बढ़ते ही रहेंगे, और इस कारण हमें STRONG BULLISH को ध्यान में रखते हुए, स्टॉक खरीदना चाहिए, या स्टॉक खरीदा हुआ है, तो बढती हुई प्राइस और वॉल्यूम को ध्यान में रखना चाहिए, और जैसे ही प्राइस और VOLUME में करेक्शन आने लगे, तो हमें पर्याप्त प्रॉफिट बुक करके सौदे से बाहर निकाल जाना चाहिए,
जब स्टॉक का volume भी घटता है price भी घटता है,
अगर चार्ट में ये दिख रहा है कि – स्टॉक का वॉल्यूम भी कम हो रहा है (पिछले दस दिन के एवरेज से कम) और साथ में स्टॉक के price भी कम हो रहे है, तो इसका मतलब है , स्टॉक Strong Bearish Trend में है,
और इस तरह प्राइस और वॉल्यूम का इस तरह से कम होना हमें ये बताता है कि – ऐसा हो सकता है कि उस स्टॉक को कोई बढ़ा इन्वेस्टर (जैसे FII , DII, MF) स्टॉक बेच रहे है, और इसलिए Strong Bearish Trend के कारण स्टॉक के प्राइस कुछ समय तक कम होते ही रहेंगे, और इस कारण हमें Strong Bearish को ध्यान में रखते हुए, स्टॉक में Short Selling का मौका हो सकता है और हमें short selling के बारे में सोचना चाहिए,
साथ ही इस तरह घटती हुई प्राइस और वॉल्यूम को ध्यान में रखना चाहिए, और जैसे ही प्राइस और VOLUME में करेक्शन आने लगे, यानि प्राइस और वॉल्यूम बहुत निचे जाकर, ऊपर की तरफ जाने लगे तो तो हमें पर्याप्त प्रॉफिट बुक करके सौदे से बाहर निकाल जाना चाहिए,
और अगर शेयर के फंडामेंटल अच्छे है, तो हमें लॉन्ग पोजीशन के ट्रेड के बारे में सोचना चाहिए,
जब स्टॉक का volume बढ़ता है, price घटता है,
अगर चार्ट में ये दिख रहा है कि – स्टॉक का volume बढ़ रहा है (पिछले दस दिन के एवरेज से ज्यादा) लेकिन साथ में स्टॉक के price कम हो रहे है,
तो इसका मतलब है , स्टॉक में कोई बड़ी selling चालू है, यानि ऐसा हो सकता है कि कोई बढ़ा इन्वेस्टर (जैसे FII , DII, MF) स्टॉक बेच रहे है,
अब क्योकि बड़ा प्लेयर selling कर रहा है, और इसी कारण स्टॉक का volume तो बढ़ रहा है, लेकिन खरीदने वाले कम है और इसलिए स्टॉक के भाव नहीं बढ़ रहे है,
इस तरह के सिचुएशन में नियम ये है कि – आम निवेशक को इन बड़े प्लेयर के साथ ही चलना चाहिए और Short Sellng के मौके की तलाश करनी चाहिए,
और अगर आपके पास पहले से स्टॉक है, तो आप ध्यान दीजिए कि बड़े प्लेयर ऐसा क्यों कर रहे और क्या आपको भी उस स्टॉक से बाहर निकलना चाहिए, ये जरुर समझने की कोशिस करीए,
जब स्टॉक का volume कम हो रहा है, लेकिन price ऊपर जा रहा है,
अगर चार्ट में ये दिख रहा है कि – स्टॉक का volume कम हो रहा है (पिछले दस दिन के एवरेज से कम) लेकिन साथ में स्टॉक के price बढ़ रहे है,
तो इसका मतलब है , स्टॉक में स्टॉक में रिटेल इन्वेस्टर का ज्यादा इंटरेस्ट है, और रिटेल इन्वेस्टर उस स्टॉक में खरीदी कर रहे है, लेकिन क्योकि कोई बड़ा इन्वेस्टर (जैसे FII , DII, MF) नहीं है, इसलिए स्टॉक में volume भी नहीं है,
और ऐसे केस में आम निवेशक को सावधान रहना चाहिए, स्टॉक बेच रहे है,
क्योकि बड़ा निवेशक नहीं है, और छोटे निवेशक स्टॉक को खरीद रहे है, भाव बढ़ रहा है, और ऐसे में बुलिश ट्रेंड देखने को मिल जाता है,
लेकिन इस तरह के बुलिश ट्रेंड को एक कमजोर बुलिश ट्रेंड माना जाता है क्योकि इस ट्रेंड में volume कम हो रहा है,
इस तरह के सिचुएशन में नियम ये है कि –
आम निवेशक को इन बड़े प्लेयर के साथ ही चलना चाहिए और उस स्टॉक को लेकर काफी सावधान रहना चाहिए,
और अगर आपके पास पहले से स्टॉक है, तो आप ध्यान दीजिए कि बड़े प्लेयर ऐसा क्यों कर रहे और क्या आपको भी उस स्टॉक से बाहर निकलना चाहिए, ये जरुर समझने की कोशिस करीए,
Trade लेते समय Volume को ध्यान में रखना अनिवार्य है,
आप किसी भी तरह के ट्रेड लीजिए, stock खरीद रहे है या short selling कर रहे है, चाहे आप इंट्रा डे कर रहे, स्विंग ट्रेडिंग कर रहे हो, या लॉन्ग टर्म के लिए इन्वेस्ट कर रहे हो,
निचे बताये गए कारणों से Trade लेते समय वॉल्यूम को ध्यान में रखना अनिवार्य माना जाता है,
वॉल्यूम से साफ़ दीखता है कि जो भी ट्रेंड बना है, चाहे वो Bullish हो या bearish, वो ट्रेंड कितना मजबूत है या कितना कमजोर,
वॉल्यूम अधिक होने का मतलब है कि – जो भी ट्रेंड बना है, चाहे वो Bullish हो या bearish वो ट्रेंड स्ट्रोंग है, और सौदे हमें स्ट्रोंग ट्रेंड के साथ में ही करने चाहिए, चाहे स्टॉक खरीदने की बात हो या short selling की
वॉल्यूम को देख लेने से हमें किसी तरह के Bullish या Bearish Trend के झूटे जाल से बच सकते है, क्योकि ऐसा हो सकता है कि मार्केट में बुलिश ट्रेंड दिख रहा है, लेकिन हो सकता है वो कुछ समय के लिए ही हो और ये हमें उस स्टॉक के वॉल्यूम को देख कर ही समझ आता है,
Stock Volume (स्टॉक मात्रा) – Summary
वॉल्यूम के इस बड़े से आर्टिकल को अगर summarize किया जाए तो हमें निम्न बाते ध्यान में रखनी चाहिए-
एक तरफ अगर कोई शेयर खरीदता है, तो दूसरी तरफ कोई शेयर बेचता है, इसलिए उतना ही शेयर ख़रीदा जा सकता है जितना कि दूसरी तरफ से शेयर बेचा जा रहा है,
इसलिए 100 शेयर ख़रीदे और 100 शेयर बेचने का मतलब है – शेयर के ट्रेड वॉल्यूम है 100
स्टॉक का volume, उस स्टॉक के दिन भर होने वाले ट्रेड में जितने शेयर ट्रान्सफर हो रहे उनकी संख्या होती है,
वॉल्यूम किसी भी स्टॉक के ट्रेंड को कन्फर्म करते है, अगर बुलिश है तो कितना स्ट्रोंग बुलिश है और अगर bearish है तो कितना स्ट्रोंग bearish है,
High वॉल्यूम ये दिखता है कि स्टॉक में बड़े निवेशक खरीदी या बिक्री कर रहे है,
Low वॉल्यूम ये दिखता है कि स्टॉक में बड़े निवेशक नहीं बल्कि छोटे रिटेल निवेशक काम कर रहे है,
जिस दिन किसी स्टॉक में वॉल्यूमकम हो, हमें ट्रेड लेने में बहुत सावधानी रखनी चाहिए, और ट्रेड से दूर रहना चाहिए,
जब भी मार्केट में कोइ स्टॉक खरीदे या बेचे, वॉल्यूम को जरुर ध्यान में रखिए, वॉल्यूम बहुत कुछ बताता है,
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